युनानी मिस्र रूमां सब मिट गए जहाँ से, बाकी अभी तलक है नामों-निशां हमारा। युनानी मिस्र रूमां सब मिट गए जहाँ से, बाकी अभी तलक है नामों-निशां हमारा।
अब धरती अपनी सब्र खो चुकी है, बदलना चाहती है अब अपना स्वभाव अब धरती अपनी सब्र खो चुकी है, बदलना चाहती है अब अपना स्वभाव
यह ज़िन्दगी है यारों, यहां रोज़ लगता एक मेला है। यह ज़िन्दगी है यारों, यहां रोज़ लगता एक मेला है।
वक्त के बारे में एक कविता। वक्त के बारे में एक कविता।
बदलते परिवेश में बदले सारे देश धरती बदली मानव बदला बदला सबका भेष। बदलते परिवेश में बदले सारे देश धरती बदली मानव बदला बदला सबका भेष।
किसी का 'दिल' बदलेगा किसी के 'दिन' बदलेंगे ! किसी का 'दिल' बदलेगा किसी के 'दिन' बदलेंगे !